ज़रा आँखें बंद कीजिए और दिल से उस पल की कल्पना कीजिए — बाहर अँधेरा, पर भीतर भारत के प्रत्येक घर में उजाला। 15 अगस्त 1947 की रात वो थी, हर चीख, हर उम्मीद, हर तड़प को एक जोश में बदल रहा था। वह सिर्फ स्वतंत्रता का जश्न नहीं था, हजारों साल के उजाड़ से निकली एक नई सुबह का पैगाम था।
15 अगस्त 1947 की वह ऐतिहासिक रात… दिल्ली का पथ पत्थर कम थे, लेकिन आत्माओं में जो चमक थी, वह आज भी किसी दीपक से कम नहीं।
जवाहरलाल नेहरू ने कहा:
"At the stroke of the midnight hour, when the world sleeps, India will awake to life and freedom."
और हकीकत में, यह किसी राष्ट्र का जन्म नहीं था—यह लाखों सपनों का, एक नए भारत का पुनर्जन्म था।