आजादी के 75 साल - कितना बदला भारत

88 रुपये तोला सोना, 1 रुपये का डॉलर, ऐसा था 1947 का भारत


भारत की आजादी को 75 साल हो गए हैं और हमारे देश कई क्षेत्रों में काफी तरक्की है. आज की स्थिति 75 साल पहले के भारत से काफी अलग है. आइए जानते हैं जिस दिन भारत आजाद हुआ था उस दिन और आज की स्थिति में कितना बदलाव हुआ है...

15 अगस्त 1947 को भारत का एक रुपया एक डॉलर के बराबर था, जो कि अब 79 रुपये तक पहुंच गया है. 

भारत के पहले लोकसभा चुनाव 489 सीटों पर हुए थे और अब लोकसभा सीट 545 है.


उस वक्त भारत की जनसंख्या 33 करोड़ थी और अब यह 138 करोड़ है. यह जनसंख्या बंटवारे के समय की है, लेकिन देश की पहली आधिकारिक जनगणना साल 1951 में की गई थी.

1947 में भारतीय 88.62 रुपये में 10 ग्राम सोना खरीद सकते थे, अब इसके लिए करीब 51 हजार रुपये खर्च करना पड़ सकता है. 


वहीं राज्यसभा में उस वक्त 216 सदस्य थे.


आजादी के वक्त भारत में 17 राज्य तय थे और इसमें से पांच राज्य पाकिस्तान में शामिल हो गए. साथ ही आजादी के वक्त भारत को रियासत के आधार पर विभाजित किया गया था.



भारत ने शिक्षा के क्षेत्र में भी काफी तरक्की है. 25 विश्वविद्यालयों वाले भारत में आज 1026 से अधिक विश्वविद्यालय है.

आजादी के समय यानी 1947 में देश में 30 मेडिकल कॉलेज ही थे, लेकिन अब करीब 550 मेडिकल कॉलेज हैं. 1947 में 2,014 सरकारी अस्पताल थे और अब इनकी संख्या साढ़े 23 हजार से ज्यादा है.

कोरोना महामारी के दौरान भारत ने अपने दम पर दो-दो स्वदेशी कोरोना वैक्सीन (कोवैक्सीन और कोविशील्ड) बनाकर न सिर्फ अपने देश के करोड़ों लोगों की जिंदगी को बचाया वहीं दुनिया के कई देशों को फ्री वैक्सीन दे दिए हैं.

भारत दुनिया की 20 फीसद जेनेरिक दवा, 60 फीसदी वैक्सीन का सप्लायर है. दुनिया के 206 देशों में दवाओं की सप्‍लाई देश से से होती है. भारत हेपेटाइटिस बी से लेकर HIV और कैंसर जैसी घातक बीमारियों के लिए दुनिया के मुकाबले काफी सस्ती दवा बनाता है

1950 में भारत का कुल खाद्यान्न उत्पादन 5.49 करोड़ टन था. 1960 तक भारत में खाद्यान्न को बड़ी मात्रा में आयात किया जाता था. 1965 में देश में अनाज का संकट पैदा हो गयाथा. अमेरिका ने उस वक्त का फायदा उठाते हुए कुछ शर्तों के साथ भारत को अनाज देने की पेशकश की थी, परंतु आज भारत अपनी पैदावार के दम पर दुनिया के लाखों लोगों का पेट भर रहा है.अब भारत का कुल खाद्यान्न उत्पादन बढ़कर 31करोड़ टन से ऊपर के स्तर पर पहुंच गया है. बीते कई बरसों से गेहूं, चीनी जैसे सामानों का तो भारत में लगातार रिकॉर्ड उत्पादन हो रहा है.

1947 में आजादी के वक्त भारत की GDP महज 2.7 लाख करोड़ रुपये की थी और ये दुनिया की GDP के 3 फीसदी से भी कम थी. 75 साल में भारत की GDP 55 गुना बढ़कर करीब 150 लाख करोड़ रुपये हो गई है. भारत 2022 में 8.5 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना है और दुनिया भर की GDP में इसका हिस्सा 2024 तक 10 फीसदी से ज्यादा होने का अनुमान है. इन 75 वर्षो में भारत की GDP में 3 मौकों को छोड़कर हमेशा ग्रोथ दर्ज की गई है. शून्य से नीचे विकास दर ,पहली बार 1965 के दौरान, दूसरी बार 1979 के दौरान, तीसरी बार 2020 में कोरोना के दौरान गई थी.


75 वर्षों में देश में गरीबों की संख्या में भारी कमी आई है.1947 में भारत की आजादी के वक्त देश की 70 फीसदी जनसंख्या बेहद गरीबी में जी रही थी. फिर 1991 के सुधारों के साथ देश में पहली बार आधी जनसंख्या गरीबी रेखा से ऊपर पहुंच गई. वर्तमान अनुमान के अनुसार देश में 22% से भी कम लोग बेहद गरीबी में रह गए है.

आजादी के समय भारत विदेशी हथियारों के मामले में पूरी तरह से सिर्फ रूस पर निर्भर था.  वहीं आज का भारत यूरोप के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रह है. फ्रांस से राफेल, अमेरिका से चिनूक और रूस से एस-400 जैसा मिसाइल डिफेंस सिस्टम भारत को मिलना किसी बड़ी कामयाबी है. डीआरडीओ (DRDO) जैसे संगठन बुलेट प्रूफ जैकेट से लेकर लाइट फाइटर जेट तक बना रहे हैं.

1947 में आजादी के बाद 1953 में आजाद भारत के बढ़ते कदम आविष्कार के नए नए आयामों को छू रहे थे. देश में आई पहली ट्रैफिक लाइट का इस्तेमाल 1953 में मद्रास के एग्मोर जंक्शन में किया गया. इसके 10 साल बाद यानि साल 1963 में बैंगलोर के कॉर्पोरेशन सर्कल में पहला ट्रैफिक सिग्नल लगाया गया. आज भारत के रोड ट्रांसपोर्ट सिस्टम की मिसालें कई देशों में दी जा रही हैं.

भारत ने इन 75 सालों में अनगिनत हाईवे बनवाए और अब जमाना एक्सप्रेस वे का है. देश के प्रमुख शहरों के बीच की दूरी घटी है. सफर में पहले की तुलना में कम समय लग रहा है. देश के विकास में भारत के ट्रांसपोर्ट सिस्टम का भी बड़ा योगदान है. 

तकनीकि के क्षेत्र में भारत को बड़ी उपलब्धि साल 1995 में मिली. जब पहली बार देश में मोबाइल फोन आया. 
एक तरफ जहां देश में साल 1995 में मोबाइल फोन की सुविधा मिली तो वहीं इसी साल से एक और आयाम तकनीकि के क्षेत्र में भारत को हासिल हुआ और वो था इंटरनेट सेवा का. आम लोगों के लिए इंटरनेट सुविधा विदेश संचार निगम लिमिटेड यानी VSNL के गेटवे सर्विस के साथ शुरू की गई. इसके बाद साल 1998 में सरकार ने निजी कंपनियों को इंटरनेट सेवा क्षेत्र में आने की इजाजत दी थी और आज भारत की इंटरनेट क्रांति का लोहा भी पूरी दुनिया मान रही है. देश के विकास में मोबाइल फोन सिस्टम  और इंटरनेट सेवा का  बहुत बड़ा योगदान है.