आजादी के 78 साल - कितना बदला भारत

दोस्तों,
ज़रा आँखें बंद कीजिए और दिल से उस पल की कल्पना कीजिए — बाहर अँधेरा, पर भीतर भारत के प्रत्येक घर में उजाला। 15 अगस्त 1947 की रात वो थी,  हर चीख, हर उम्मीद, हर तड़प को एक जोश में बदल रहा था। वह सिर्फ स्वतंत्रता का जश्न नहीं था, हजारों साल के उजाड़ से निकली एक नई सुबह का पैगाम था।
15 अगस्त 1947 की वह ऐतिहासिक रात… दिल्ली का पथ पत्थर कम थे, लेकिन आत्माओं में जो चमक थी, वह आज भी किसी दीपक से कम नहीं।
जवाहरलाल नेहरू ने कहा:
"At the stroke of the midnight hour, when the world sleeps, India will awake to life and freedom."
और हकीकत में, यह किसी राष्ट्र का जन्म नहीं था—यह लाखों सपनों का, एक नए भारत का पुनर्जन्म था।

"भारत: कर्जन से नेहरू तक" प्रसिद्ध पत्रकार दुर्गादास के नजरिए से

"भारत: कर्जन से नेहरू तक" प्रसिद्ध पत्रकार दुर्गादास के नजरिए से

भारत के आधुनिक इतिहास में केवल तिथियाँ, व्यक्तियों या संतों की सूची नहीं है, बल्कि यह उन व्यक्तियों की भी दास्तां है, युद्ध में इस देश की आत्मा को गढ़ा और बदला गया है। यदि  कर्ज़न को ब्रिटिश साम्राज्य के कट्टर प्रतिद्वंद्वी का प्रतिनिधि माना जाए, तो नेहरू को स्वतंत्र भारत के स्वप्निल शिल्पकार माने जाते हैं। ये दोनों विशेषण दो अलग-अलग युगों के प्रतीक हैं ।

पंद्रह अगस्त 1947 की सुबह का अखबार


पंद्रह अगस्त 1947 की सुबह का अखबार

यह तस्वीर भगत सिंह , राजगुरू, सुखदेव के अन्तिम संस्कार की है.




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भगत सिंह के फासी के 3 घंटे पहले का ऐतिहासिक किस्सा


23 मार्च का दिन उन आम दिनों की तरह ही शुरू हुआ जब सुबह के समय राजनीतिक बंदियों को उनके बैरक से बाहर निकाला जाता था। आम तौर पर वे दिन भर बाहर रहते थे और सूरज ढलने के बाद वापस अपने बैरकों में चले जाते थे। लेकिन आज वार्डन चरत सिंह शाम करीब चार बजे ही सभी कैदियों को अंदर जाने को कह रहा था। सभी हैरान थे, आज इतनी जल्दी क्यों। पहले तो वार्डन की डांट के बावजूद सूर्यास्त के काफी देर बाद तक वे बाहर रहते थे। लेकिन आज वह आवाज काफी कठोर और दृढ़ थी। उन्होंने यह नहीं बताया कि क्यों? बस इतना कहा, ऊपर से ऑर्डर है।

कैप्टन मनोज कुमार पांडे (परम वीर चक्र से सम्मानित) जन्म 25 जून 75 शहीद दिवस 3 जुलाई 99



कारगिल युद्ध में राष्ट्र रक्षा के लिए बहादुरी से दुश्मनों का मुकाबला करनेवाले मनोज कुमार पांडे का एक ही संकल्प था इंडिया फर्स्ट यानि राष्ट्र सर्वप्रथम। राष्ट्र की सुरक्षा में अपनेप्राणों की आहुति देकर वीरगति को प्राप्त हुए मनोज पांडे को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। इस युद्ध के दौरान उन्होंने अदम्य साहस, वीरता और असाधारण नेतृत्व का परिचय दिया जिस पर संपूर्ण राष्ट्र को है गर्व…..