"भारत: कर्जन से नेहरू तक" प्रसिद्ध पत्रकार दुर्गादास के नजरिए से

"भारत: कर्जन से नेहरू तक" प्रसिद्ध पत्रकार दुर्गादास के नजरिए से

भारत के आधुनिक इतिहास में केवल तिथियाँ, व्यक्तियों या संतों की सूची नहीं है, बल्कि यह उन व्यक्तियों की भी दास्तां है, युद्ध में इस देश की आत्मा को गढ़ा और बदला गया है। यदि  कर्ज़न को ब्रिटिश साम्राज्य के कट्टर प्रतिद्वंद्वी का प्रतिनिधि माना जाए, तो नेहरू को स्वतंत्र भारत के स्वप्निल शिल्पकार माने जाते हैं। ये दोनों विशेषण दो अलग-अलग युगों के प्रतीक हैं ।

यह तस्वीर भगत सिंह , राजगुरू, सुखदेव के अन्तिम संस्कार की है.




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भगत सिंह के फासी के 3 घंटे पहले का ऐतिहासिक किस्सा


23 मार्च का दिन उन आम दिनों की तरह ही शुरू हुआ जब सुबह के समय राजनीतिक बंदियों को उनके बैरक से बाहर निकाला जाता था। आम तौर पर वे दिन भर बाहर रहते थे और सूरज ढलने के बाद वापस अपने बैरकों में चले जाते थे। लेकिन आज वार्डन चरत सिंह शाम करीब चार बजे ही सभी कैदियों को अंदर जाने को कह रहा था। सभी हैरान थे, आज इतनी जल्दी क्यों। पहले तो वार्डन की डांट के बावजूद सूर्यास्त के काफी देर बाद तक वे बाहर रहते थे। लेकिन आज वह आवाज काफी कठोर और दृढ़ थी। उन्होंने यह नहीं बताया कि क्यों? बस इतना कहा, ऊपर से ऑर्डर है।

सुभाषचंद्र बोस (आजाद हिन्द फौज) के समय का राष्ट्र गान


 

कैप्टन मनोज कुमार पांडे (परम वीर चक्र से सम्मानित) जन्म 25 जून 75 शहीद दिवस 3 जुलाई 99



कारगिल युद्ध में राष्ट्र रक्षा के लिए बहादुरी से दुश्मनों का मुकाबला करनेवाले मनोज कुमार पांडे का एक ही संकल्प था इंडिया फर्स्ट यानि राष्ट्र सर्वप्रथम। राष्ट्र की सुरक्षा में अपनेप्राणों की आहुति देकर वीरगति को प्राप्त हुए मनोज पांडे को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। इस युद्ध के दौरान उन्होंने अदम्य साहस, वीरता और असाधारण नेतृत्व का परिचय दिया जिस पर संपूर्ण राष्ट्र को है गर्व…..

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सुभाष चंद्र बोस की भूमिका (Role of Subhash Chandra Bose in India's Freedom Struggle)

सबसे महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे सुभाष चंद्र बोस, जिन्हें नेताजी के नाम से जाना जाता है, । वह उत्कृष्ट नेतृत्व क्षमता के साथ उत्कृष्ट वक्ता भी थे। उन्हें भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भागीदारी के लिये जाना जाता है।

वह सी.आर. दास के साथ राजनीतिक गतिविधियों में संलग्न थे और उनके साथ जेल भी गए। जब सीआर. दास को कलकत्ता को-ऑपरेशन का मेयर चुना गया तो उन्होंने बोस को मुख्य कार्यकारी नामित किया था। सुभाष चंद्र बोस को वर्ष 1924 में उनकी राजनीतिक गतिविधियों के लिये गिरफ्तार किया गया था।