"भारत: कर्जन से नेहरू तक" प्रसिद्ध पत्रकार दुर्गादास के नजरिए से
भारत के आधुनिक इतिहास में केवल तिथियाँ, व्यक्तियों या संतों की सूची नहीं है, बल्कि यह उन व्यक्तियों की भी दास्तां है, युद्ध में इस देश की आत्मा को गढ़ा और बदला गया है। यदि कर्ज़न को ब्रिटिश साम्राज्य के कट्टर प्रतिद्वंद्वी का प्रतिनिधि माना जाए, तो नेहरू को स्वतंत्र भारत के स्वप्निल शिल्पकार माने जाते हैं। ये दोनों विशेषण दो अलग-अलग युगों के प्रतीक हैं ।